मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



2. भक्ति, श्रद्धा, प्रेम का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
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सशक्त न्याय व्यवस्था की आवश्यकता

दिनांक 29 जुलाई 2025 सत्य, न्याय, नैतिकता, सदाचार, देश, सत्सनातन धर्म, संस्कृति के विरुद्ध मन, कर्म और वचन से की…
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सनातन धर्म के सोलह संस्कार

दिनांक 20 जुलाई 2025 सनातन धर्म के सोलह संस्कारसनातन धर्म में मानव जीवन के सोलह संस्कारों का प्रावधान है जो…
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ब्राह्मण – ज्ञानवीर

उद्देश्य – विश्व कल्याण हेतु ज्ञान विज्ञान का सृजन, पोषण और संवर्धन करना l – ब्रह्मा जी का मुख ब्राह्मण…
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क्षत्रिय – शूरवीर

उद्देश्य –  ब्राह्मण, नारी, धर्म, राष्ट्र, गाये के प्राणों की रक्षा – सुरक्षा की सुनिश्चितता  बनाये रखना l   -…
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    5. भूजल संरक्षण

    भूजल संरक्षण का हर जगह रखना है ध्यान 
    पल पल इससे सबको मिलता है जीवन दान
    अब हमने युद्धस्तर पर करना है
    भूजल का संरक्षण
    भूजल स्तर ऊपर लाना है
    होगा इससे हर जीवन का संरक्षण
    नहीं करेंगे अब हम और अधिक
    धरती का चीरहरण
    चारों ओर हरियाली होगी
    होगा भूजल पुनर्भरण जल संरक्षण


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    4. कहना है क्या

    दैनिक जागरण 15 फरवरी 2007

    आत्म बोध प्राप्त करने को
    आत्म चिन्तन करना अच्छा
    आत्म ज्ञान हो जाए
    तो कहना है क्या
    आत्म दर्शन करने को
    आत्मावलोकन करना अच्छा
    आत्म साक्षात्कार हो जाए
    तो कहना है क्या
    आत्म विश्वास बढ़ाने को
    कलात्मक प्रतियोगिताओं में भाग लेना अच्छा
    अपनी पहचान बन जाए
    तो कहना है क्या
    संसार एक परिवार निहारने को
    आध्यात्मिक दृष्टि अपना लेना अच्छा
    कोई सद्गुरु बन जाए
    तो कहना है क्या



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    1. बोल सके तो

    अमर उजाला 13 फरवरी 2007                      

    बोल सके तो बोल प्यारे
    मीठे बोल तू बोल
    कीमती बोल तू बोल प्यारे
    बोल संभल कर बोल
    फूल मुरझा जाते हैं अक्सर
    कली सदा रहती नहीं
    घाव तलवार के भर जाते हैं
    मगर बात कड़वी मिटती नहीं



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    3. प्यारा वतन

    दैनिक जागरण 26 जनवरी 2007 

    है वही मेरा प्यारा वतन
    हिमालय चूमता जहां ऊंचा गगन
    कण कण सौरभ लाती नित नूतन पवन
    पुण्य जीवन पाते मिलते जनगण
    नित क्रांतियों के जहां होते यत्न
    है वही मेरा प्यारा वतन
    मिलता जहां देखने विशाल पाहन सेतु
    उस पार पापी मारा था रक्षा मानवता हेतु
    होता जहां अधर्म का प्रतिक्षण पतन
    है वही मेरा प्यारा वतन



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    2. राही

    दैनिक जागरण 19 जनवरी 2007 

    हम मानव संसार के राही
    लगने न देंगे मानवता पर स्याही
    उठने न पाएगा अज्ञान हाथी
    सबके रक्षक सेवक साथी
    हम तो हैं भले मर्मान्तक
    सेवा हेतु हमें कोई न आंतक
    हम मानव संसार के राही
    लगने न देंगे मानवता पर स्याही
    हम सब अपने हृदय के दीक्षक
    सुख रहे दुख के चिकित्सक
    रावण कंस नाम फिर न होगा विख्यात
    राम कृष्ण नामों पर होगा प्रयास
    हम मानव संसार के राही
    लगने न देंगे मानवता पर स्याही