मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



2. भक्ति, श्रद्धा, प्रेम का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
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सशक्त न्याय व्यवस्था की आवश्यकता

दिनांक 29 जुलाई 2025 सत्य, न्याय, नैतिकता, सदाचार, देश, सत्सनातन धर्म, संस्कृति के विरुद्ध मन, कर्म और वचन से की…
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सनातन धर्म के सोलह संस्कार

दिनांक 20 जुलाई 2025 सनातन धर्म के सोलह संस्कारसनातन धर्म में मानव जीवन के सोलह संस्कारों का प्रावधान है जो…
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ब्राह्मण – ज्ञानवीर

उद्देश्य – विश्व कल्याण हेतु ज्ञान विज्ञान का सृजन, पोषण और संवर्धन करना l – ब्रह्मा जी का मुख ब्राह्मण…
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क्षत्रिय – शूरवीर

उद्देश्य –  ब्राह्मण, नारी, धर्म, राष्ट्र, गाये के प्राणों की रक्षा – सुरक्षा की सुनिश्चितता  बनाये रखना l   -…
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    9. धौलाधार का शृंगार

    दैनिक जागरण 30 मार्च 2007 

    आहा कैसी सुन्दर ओढ़ी बर्फीली चादर धौलाधार ने
    शुष्क मौसम से पाई मुक्ति धौलाधार ने
    नाले झरने नदियां सब फिर बहने लगे हैं
    ताल बावडि़यां कूप जल से भरने लगे हैं
    धरती खेत खलिहानों को मिलने लगा है पानी
    रिमझिम रिमझिम बरसने लगा है पानी
    बर्फ से किया है फिर श्रृंगार धौलाधार ने
    आहा कैसी सुन्दर ओढ़ी बर्फीली चादर धौलाधार ने



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    2. सुख – शांति का रास्ता

    अमर उजाला 30 मार्च 2007

    जातियां होती हैं जीव जंतुओं की
    मनुष्य नर नारी की नहीं
    करके जातिगत बंटवारा समाज का
    पा सकता तू सुख शांति नहीं
    कौन सी जाति क्या है जाति
    इससे नहीं है तेरा कोई वास्ता
    हर प्राणी है रूप ईश्वर का
    सुख शांति का और न कोई रास्ता



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    8. गुरु का निरादर

    दैनिक जागरण 16 मार्च 2007 

    जब मन कर्म वाणी से
    मैं गुरु का अनादर करता हूं
    तब मैं उनसे सुस्नेह की
    सयंमी होते हैं गुरु सदा
    करते हैं शिष्य हित की बात
    मैं शिष्य हूं मन चला
    करता हूँ अपने मन की बात
    मन की बातों में रम कर
    जब मैं गुरु को भूल जाता हूं
    खाता हूं तब ठोकरें दरदर
    गुरु से दूर हो जाता हूं



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    7. छात्रों की व्यथा

    दैनिक जागरण 10 मार्च 2007

    हमें पर्चियां पहुंचा कर
    परीक्षा में नकल को न करो हवा
    अमूल्य जीवन भ्रष्ट हो जाएगा
    हमारी अयोग्यता को न करो हवा
    नकल से परीक्षा में हम चाहे पास हो जाएंगे
    ऐसे तो हम कभी योग्य नही बन पाएंगे
    आगे योग्य नागरिक तुम्हें मिलेंगे कैसे
    योग्य डाक्टर इंजीनियर तुम्हें मिलेंगे कैसे
    हमारे इन अमूल्य जीवन पलों को
    नकल की तुम न करो हवा
    हमें पर्चियां पहुंचा कर
    परीक्षा को न करो हवा



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    6. जागो धरती नन्दन

    दैनिक जागरण 2 मार्च 2007 

    जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान
    कांप रही धरती गिर न जाए आसमान
    पीडि़त राष्ट्र निज नेत्र खोल जरा
    त्रस्त मानवता रक्त रंजित हो धरा
    जमा और मुनाफाखोरों का लगा है मेला
    स्वार्थ सिद्धि का पड़ा है घेरा
    पल पल लाता कम्पन प्रभंजन जहान
    जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान
    राम कृष्ण की धरती कर रही पुकार है

    उत्तरदायी होकर तू क्यों कर रहा संहार है
    असहाय प्राणी देश के क्षुधार्थ मरने को हैं लाचार
    छोड़ धन संचयन की लालसा तूने करना है उपकार
    सदाचारी को समझे नित मां अपनी प्यारी संतान
    जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान