भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5000 वर्ष ईश्वी पूर्व इस धरती पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था।…
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1. श्रृंगार धौलाधार का
पंजाब केसरी 21 मई 2007
कैसी सुंदर ओढ़ी बर्फीली
चादर धौलाधार ने
शुष्क मौसम से पाई
मुक्ति धौलाधार ने
नाले भरे नदियाँ सब बहने
लगे हैं
ताल बावड़ियाँ कूप सब
जल से भरने लगे हैं
धरती, खेतों, खलिहानों को
मिलने लगा है पानी
रिमझिम बरसने लगा है पानी
बर्फ से किया फिर शृंगार
धौलाधार ने
आह! कैसी सुंदर ओढ़ी
बर्फीली चादर धौलाधार ने
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1. श्रृंगार धौलाधार का
पंजाब केसरी 21 मई 2007
कैसी सुंदर ओढ़ी बर्फीली
चादर धौलाधार ने
शुष्क मौसम से पाई
मुक्ति धौलाधार ने
नाले भरे, नदियाँ सब बहने
लगे हैं
ताल, बावड़ियाँ, कूप सब
जल से भरने लगे हैं
धरती, खेतों, खलिहानों को
मिलने लगा है पानी
रिमझिम बरसने लगा है पानी
बर्फ से किया फिर शृंगार
धौलाधार ने
आह ! कैसी सुंदर ओढ़ी
बर्फीली चादर धौलाधार ने
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16. भू – जल दोहन
दैनिक जागरण 18 मई 2007
बूंद बूंद से होता है भूजल पुनर्भरण
सुनियोजित करना है भूजल दोहन व्यवहार
सुरक्षित रखना है शुद्ध भूजल भंडार
सुखी रहेगा मनमोहन संसार
भूजल धरती की है अमूल्य सम्पत्ति
व्यर्थ दोहन है आने वाली विपत्ति
भूजल धरती का करता है श्रृंगार
अनावश्यक दोहन सरासर है निराधार
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15. कविता
दैनिक जागरण 15 मई 2007
वीरों की तू पोषणहारी
तू है कविता कवि की प्यारी
देखा है मैंने तुझे सबके साथ
पर वे सब तुझे नहीं लगाते हाथ
अत्याचारी की तू हत्यारी
तू है कविता कवि की प्यारी
जिसने किया जब नीचता को सलाम
तूने किया उसका काम तमाम
दुराचारी की तू संहारणहारी
तू है कविता कवि की प्यारी
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14. ईर्ष्या – घृणा
दैनिक जागरण 9 मई 2007
आग से खेल रहा क्यों?
वह राख बनाया करती है
ईर्ष्या से भी प्रेम कर रहा
हंसते को रुलाया करती है
घृणा कर नीच विचारों से
मगर इन्सान से नहीं
करके ईर्ष्या घृणा इन्सान से
रह सकता तू सुख शांति से नहीं