# देव या दानव न तो आसमान से नीचे धरती पर उतरते हैं और न ही वे धरती चीरकर बाहर निकलते हैं। मन, कर्म और वचन सेे ही मनुष्य देव या दानव बनता है।*
चेतन कौशल "नूरपुरी"
लेखक: चेतन कौशल
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श्रेणी:चेतन विचार
देव या दानव
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श्रेणी:चेतन विचार
देव
# जिसने अहंकार को अपने वश में कर लिया, वह मनुष्य नहीं देव है। देव प्रवृत्ति प्रबल हो जाने से मनुष्य की दानव प्रवृत्ति निर्बल हो जाती है।*
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन विचार
अहंकार
# मनुष्य देव बन सकता है पर उसका अहंकार उसे ऐसा नहीं करने देता है क्योंकि वह मानव को दानव बनाता है। वह मनुष्य का शत्रु है।*
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन विचार
आश्चर्य
# समझ नहीं आता है कि कोई मनुष्य दूसरे मनुष्य की किसी बुरी आदत को बदलने को तो कहता है, परंतु वह अपनी बुरी आदत बदलने में समर्थ होता हुआ भी उसे बदलने के लिए कभी तैयार नहीं होता है।*
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन विचार
प्रतिभा
# अगर हर मनुष्य स्वयं में छिपी हुई प्रतिभा को भली प्रकार समझ ले और उसे अपने जीवन का लक्ष्य बना कर उसके अनुरूप कार्य आरम्भ कर दे तो धरती पर कोई भी शक्ति स्वर्ग साकार होने से नहीं रोक सकती।*
चेतन कौशल "नूरपुरी"