चेतन आत्मोवाच 47:-
सुहागा सत्य है, आग अहिंसा, सोना शरीर तपा ले l
सांचे में खुद को ढाल, मनः मानव जीवन संवार ले ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
लेखक: चेतन कौशल
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
खुद को ढाल
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
हृदय की बात
चेतन आत्मोवाच 46 :-
सुन बात दूसरों की, कर ले भली प्रकार विचार l
हृदय की बात पत्थर की लकीर, मनः कर तुरंत व्यवहार ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
बढ़ना है आगे
चेतन आत्मोवाच 45 :-
पिछला कम निपटा दे, फिर तू बढ़ आगे l
गति बना तू कुछ ऐसी अपनी, मनः तन आलस छोड़ कर भागे ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
जीवन की सफलता
चेतन आत्मोवाच 44 :-
बातों में उनको न लगा, तू मुर्ख क्यों बनता है ?
रह मग्न तू अपने कर्म में. मनः जीवन सफल बनता है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
लोकहित में
चेतन आत्मोवाच 43 :-
लोकहित की बात, कर्म कर, सुन और बोल l
दिव्य शक्ति साथ तेरे, मनः फिर न तू डोल ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"