मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



लेखक: चेतन कौशल

  • श्रेणी:

    जाति

    चेतन आत्मोवाच 57 :-

    कौन सी जाति ? क्या है जाति ? है नहीं इससे तेरा कोई वास्ता l
    है हर एक बन्दा खुदा का बन्दा , मनः है यही प्रेम का रास्ता ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    हित की बात

    चेतन आत्मोवाच 56 :-

    सदा चोट खाता है, तू बातों में गैरों की आ जाता है l
    तेरे हित की होती हैं अपनी, मनः बात हितैषी की भूल जाता है ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी
    "

  • श्रेणी:

    हिम्मत

    चेतन आत्मोवाच 55 :-

    पत्थर रख सीने पर, मोड़ दे दिशा लहरों की l
    काम नहीं है कठिन, मनः बात है प्यारे हिम्मत की ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    जिन्दगी

    चेतन आत्मोवाच 54 :-

    ओला गिरता जल में, बन जायेगा पानी l
    बर्फ पर लिखी जिन्दगी तेरी, मनः एक दिन बन जाएगी पानी ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    ईर्ष्या

    चेतन आत्मोवाच 53 :-

    आग से खेलता है क्यों? वह रख बनाया करती है l
    तू इर्ष्या करता है क्यों ? मनः हँसते हुए को रुलाया करती है ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"