चेतन आत्मोवाच 67 :-
खोज जिसे होती है, मंजिल पा ही लेता है l
परिश्रम बिना जो ढूंढता है, मनः जीवन नष्ट कर लेता है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
लेखक: चेतन कौशल
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
परिश्रम बिना
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
सदाचार
चेतन आत्मोवाच 66 :-
मुसीबत में करते जो आह नहीं, बुझने नहीं देते जो योगाग्नि को l
सदाचार होता है संग उनके, मनः सतगुरु पार भव सागर ले जाने को ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
मेहनत
चेतन आत्मोवाच 65 :-
कली बनता गुल, गुल खिलता है काँटों में l
अभ्यास बनता है मेहनत, मनः होती नहीं मेहनत बातों में ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
अक्कल का गुल
चेतन आत्मोवाच 64 :-
महंदी रंग लाती है पत्थर पर घिसने के बाद l
अक्कल का गुल खिलता है, मनः ठोकर खाने के बाद ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
भेंट देने के बाद
चेतन आत्मोवाच 63 :-
कुछ मिलता है, भेंट देने के बाद l
तोडना पड़ता है नाता, मनः भुलानी पड़ती है याद ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"