सेवा जो कर न सके
वह तन है किस काम का
नाम जो जाप न सके
वह मन है किस काम का
कार्य जो सिद्ध कर न सके
वह धन है किस काम का
सन्मार्ग जो दिखा न सके
वह ज्ञान है किस काम का
जीवनरस जो भर न सके
वह धर्म है किस काम का
मानवसृजन जो कर न सके
वह दाम्पत्य है किस काम का
चेतन कौशल "नूरपुरी"
लेखक: चेतन कौशल
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श्रेणी:कवितायें
चेतना
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श्रेणी:आलेख
ज्ञान चालीसा
आलेख - शिक्षा दर्पण कश्मीर टाइम्स 16.11.2008
योग्य गुरु एवंम योग्य विद्यार्थी के संयुक्त प्रयास से प्राप्त विद्या से विद्यार्थी का हृदय और मस्तिष्क प्रकाशित होता है l अगर विद्या प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील द्वारा बार-बार प्रयत्न करने पर भी असफलता मिले तो उसे कभी जल्दी हार नहीं मान लेनी चाहिए बल्कि ज्ञान संचयन हेतु पूर्ण लगनता के साथ और अधिक श्रम करना चाहिए ताकि उसमें किसी प्रकार की कोई कमी न रह जाये l
1. लोक भ्रमण करने से विषय वस्तु को भली प्रकार समझा जाता है l
2. साहित्य एवंम सदग्रंथ पड़ने से विषय वस्तु का बोध होता है l
3. सुसंगत करने से विषयक ज्ञान-विज्ञान का पता चलता है l
4. अधिक से अधिक जिज्ञासा रखने से ज्ञान-विज्ञान जाना जाता है l
5. बड़ों का उचित सम्मान और उनसे शिष्ट व्यवहार करने से उचित मार्गदर्शन मिलता है l
6. आत्म चिंतन करने से आत्मबोध होता है l
7. सत्य निष्ठ रहने से संसार का ज्ञान होता है l
8. लेखन-अभ्यास करने से आत्मदर्शन होता है l
9. अध्यात्मिक दृष्टि अपनाने से समस्त संसार एक परिवार दिखाई देता है l
10. प्राकृतिक दर्शन करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है l
11. सामाजिक मान-मर्यादाओं की पालना करने से जीवन सुगन्धित बनता है l
12. शैक्षणिक वातावरण बनाने से ज्ञान विज्ञान का विस्तार होता है l
13. कलात्मक अभिनय करने से दूसरों को ज्ञान मिलता है l
14. कलात्मक प्रतियोगिताओं में भाग लेने से आत्मविश्वास बढ़ता है l
15. दैनिक लोक घटित घटनाओं पर दृष्टि रखने से स्वयं को जागृत किया जाता है l
16. समय का सदुपयोग करने से भविष्य प्रकाशमान हो जाता है l
17. कलात्मक शिक्षण-प्रशिक्षण लेने से योग्यता में निखार आता है l
18. उच्च विचार अपनाने से जीवन में सुधार होता है l
19. आत्मविश्वास युक्त कठोर श्रम करने से जीवन विकास होता है l
20. मानवी ऊर्जा ब्रह्मचर्य का महत्व समझ लेने और उसे व्यवहार में लाने से कार्य क्षमता बढ़ती है l
21. मन में शुद्धभाव रखने से आत्म विश्वास बढ़ता है l
22. कर्मनिष्ठ रहने से अनुभव एवंम कार्य कुशलता बढ़ती है l
23. दृढ निश्चय करने से मन में उत्साह भरता है l
24. लोक परम्पराओं का निर्वहन करने से कर्तव्य पालन होता है l
25. स्थानीय लोक सेवी संस्थाओं में भाग लेने से समाज सेवा करने का अवसर मिलता है l
26. संयुक्त रूप से राष्ट्रीय पर्व मनाने से राष्ट्र की एकता एवंम अखंडता प्रदर्शित होती है l
27. स्वधर्म निभाने से संसार में अपनी पहचान बनती है l
28. प्रिय नीतिवान एवंम न्याय प्रिय बनने से सबको न्याय मिलता है l
29. स्वभाव से विनम्र एवंम शांत मगर शूरवीर बनने से जीवन चुनौतिओं का सामना किया जाता है l
30. निडर और धैर्यशील रहने से जीवन का हर संकट दूर होता है l
31. दुःख में प्रसन्न रहना ही शौर्यता है l वीर पुरुष दुःख में भी प्रसन्न रहते है l
32. निरंतर प्रयत्नशील रहने से कार्य में सफलता मिलती है l
33. परंपरागत पैत्रिक व्ययवसाय अपनाने से घर पर ही रोजगार मिल जाता है l
34. तर्क संगत वाद-विवाद करने से एक दूसरे की विचारधारा जानी जाती है l
35. तन, मन, और धन लगाकर कार्य करने से प्रशंसकों और मित्रों की वृद्धि होती है l
36. किसी भी प्रकार अभिमान न करने से लोकप्रियता बढ़ती है l
37. सदा सत्य परन्तु प्रिय बोलने से लोक सम्मान प्राप्त होता है l
38. अनुशासित जीवन यापन करने से भोग सुख का अधिकार मिलता है l
39. कलात्मक व्यवसायिक परिवेश बनाने से भोग सुख और यश प्राप्त होता है l
40. निःस्वार्थ भाव से सेवा करने से वास्तविक सुख व आनंद मिलता है l
चेतन कौशल “नूरपुरी”
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श्रेणी:कवितायें
भूजल भंडार करे उद्धार
दिव्य हिमाचल 23 दिसम्बर 2004
नभ से बूंदाबांदी होती टिप टिप टिप
धरा पर इधर उधर गिरती पड़ती टिप टिप टिप
सांए सांए करती जलधारा बन कर
नाली नाला नदी रूप बन कर
पहाड़ से जंगल और मैदान की ओर
जलधारा बढ़ती जलाश्य की ओर
उसे बहना है वह बहती जाती है
पहाड़ से चलती सागर से मिल जाती है
वर्षा जल आता आंधी बन कर
बढ़ जाता आगे तूफान बन कर
भूजल धरती को नहीं मिल पाता है
कष्ट सहती धरती ज्यादा नहीं सहा जाता है
गर्म सीना धरती का जलता जा रहा
भूमि का जल स्तर घटता जा रहा
मनवा प्यासी धरती करे पुकार
सुरक्षित भूजल भंडार सबका करे उद्धार
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:कवितायें
जल संकट नहीं होने देंगे
दिव्य हिमाचल 7 दिसम्बर 2004
जल की हर बूंद है अनमोल
जल से जीवन का है मोल
बूंदबूंद से भर जाता है घड़ा
पगपग पर जल करना है खड़ा
बावड़ी बना कर कूप बना कर
तालाब बना कर जलाशय बना कर
बावड़ी यहां पर कूप वहां पर
तालाब यहां पर जलाशय वहां पर
भूजल का स्तर बढ़ाना है
नमीदार पेड़ जंगल उगाना है
नदियों को स्वच्छ बनाना है
पर्यावरण का प्रदूषण हटाना है
मनवा अब हम कोई बूंद व्यर्थ नही होने देंगे
यहां वहां कल का जल संकट नही होने देंगे
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:कवितायें
भूजल जीवन आधार
23 सितम्बर 2004 दिव्य हिमाचल
वर्षा जल छत पर आए
टिप-टिप-टिप,
जल परनाला कूप पर ले जाए
टिप-टिप-टिप,
शुद्ध जल सबने पीना है,
भूजल से सबने जीना है,
चेतन यह भूजल है
जीवन का आधार,
मात्र शुद्ध भूजल है,
जीवन का आधार,
चेतन कौशल "नूरपुरी"