मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



लेखक: चेतन कौशल

  • श्रेणी:

    मेहनत

    अमर उजाला 4 अप्रैल 2007

    कली से बनते हैं फूल
    खिलते हैं फूल कांटों में
    अभ्यास बनती है मेहनत
    रहती नहीं है मेहनत बातों में
    खोज जिसे होती है
    मंजिल पा ही लेता है
    बिना परिश्रम किए जो ढूंढता है
    अपना समय नष्ट कर लेता है
    मेहनत से मिलता है मान
    मेहनत से बनती है शान
    पहचान बनाती मेहनत अपनी
    मेहनत से मिलता है भगवान

    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    धौलाधार का शृंगार

    दैनिक जागरण 4 अप्रैल 2007 

    आहा कैसी सुन्दर ओढ़ी बर्फीली चादर धौलाधार ने
    शुष्क मौसम से पाई मुक्ति धौलाधार ने
    नाले झरने नदियां सब फिर बहने लगे हैं
    ताल बावडि़यां कूप जल से भरने लगे हैं
    धरती खेत खलिहानों को मिलने लगा है पानी
    रिमझिम रिमझिम बरसने लगा है पानी
    बर्फ से किया है फिर श्रृंगार धौलाधार ने
    आहा कैसी सुन्दर ओढ़ी बर्फीली चादर धौलाधार ने


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    सुख शांति का रास्ता

    दैनिक जागरण 12 जनवरी 2007

    जातियां होती हैं जीव जंतुओं की
    मनुष्य नर नारी की नहीं
    करके जातिगत बंटवारा समाज का
    पा सकता तू सुख शांति नहीं
    कौन सी जाति क्या है जाति
    इससे नहीं है तेरा कोई वास्ता
    हर प्राणी है रूप ईश्वर का
    सुख शांति का और न कोई रास्ता


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    गुरु का निरादर

    दैनिक जागरण 16 मार्च 2007 

    जब मन कर्म वाणी से
    मैं गुरु का अनादर करता हूं
    तब मैं उनसे सुस्नेह की
    सयंमी होते हैं गुरु सदा
    करते हैं शिष्य हित की बात
    मैं शिष्य हूं मन चला
    करता हूँ अपने मन की बात
    मन की बातों में रम कर
    जब मैं गुरु को भूल जाता हूं
    खाता हूं तब ठोकरें दरदर
    गुरु से दूर हो जाता हूं


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    छात्रों की व्यथा

    दैनिक जागरण 10 मार्च 2007

    हमें पर्चियां पहुंचा कर
    परीक्षा में नकल को न करो हवा
    अमूल्य जीवन भ्रष्ट हो जाएगा
    हमारी अयोग्यता को न करो हवा
    नकल से परीक्षा में हम चाहे पास हो जाएंगे
    ऐसे तो हम कभी योग्य नही बन पाएंगे
    आगे योग्य नागरिक तुम्हें मिलेंगे कैसे
    योग्य डाक्टर इंजीनियर तुम्हें मिलेंगे कैसे
    हमारे इन अमूल्य जीवन पलों को
    नकल की तुम न करो हवा
    हमें पर्चियां पहुंचा कर
    परीक्षा को न करो हवा


    चेतन कौशल "नूरपुरी"