मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



लेखक: चेतन कौशल

  • श्रेणी:

    पानी बचाओ

    दैनिक जागरण 15 जून 2007 

    पानी लेकर बंद करना है नल
    भाई यों ही व्यर्थ नहीं बहाना है जल
    सब्जी या फलों को धोकर
    क्यारी में डाल देना है पानी
    क्यारी में नमी रहेगी
    नाली में नहीं जाने देना है पानी
    शेष बचा बोतल या बाल्टी का पानी
    है क्यारी के पौधों का पानी
    कल के लिए ढक कर
    आज रखना है पेयजल
    संभलकर कल भी
    प्रयोग करना है पेयजल


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    क्रांतिकारी

    दैनिक जागरण 13 जून 2007 

    पल भर नहीं जो कर्महीन रहता
    कुछ न कुछ करता रहता है
    रखता अज्ञान शोषण अत्याचार पर कड़ी नजर
    दहकते अंगारों पर बे खबर चलता है
    राह में मुसीबतें आएं चाहे जितनी
    वह नित आगे बढ़ता जाता है
    मौत भी सामने क्यों न आए
    वह खुशी से निज कण्ठ लगाता है
    क्रांति कभी आ नहीं सकती
    है यह तो उसमें दम नहीं
    चाहे क्रांति होती है बलवान बहुत
    पर देखा क्रांतिकारी भी कुछ कम नहीं


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    सीने में

    दैनिक जागरण 27 मई 2007 

    कोई चिंगारी शोला नहीं बन सकती
    ऐसा उसमें दम नहीं
    शोला चिंगारी से बनता है
    पर चिंगारी शोले से नहीं
    तिल भर चिंगारी में इतना दम है
    पल भर में उससे शोला बन जाता है
    शोला तो दहकता अंगारा है
    उससे सब कुछ राख हो जाता है
    सीने में जिसके आग दवी हो
    दवा ही उसको रहने दो
    पंखा न उसे करना कभी
    कहीं शोला न बन जाए वो


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    भूजल दोहन

    दैनिक जागरण 18 मई 2007

    बूंद बूंद से होता है भूजल पुनर्भरण
    सुनियोजित करना है भूजल दोहन व्यवहार
    सुरक्षित रखना है शुद्ध भूजल भंडार
    सुखी रहेगा मनमोहन संसार
    भूजल धरती की है अमूल्य सम्पत्ति
    व्यर्थ दोहन है आने वाली विपत्ति
    भूजल धरती का करता है श्रृंगार
    अनावश्यक दोहन सरासर है निराधार


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    कविता

    दैनिक जागरण 15 मई 2007 

    वीरों की तू पोषणहारी
    तू है कविता कवि की प्यारी
    देखा है मैंने तुझे सबके साथ
    पर वे सब तुझे नहीं लगाते हाथ
    अत्याचारी की तू हत्यारी
    तू है कविता कवि की प्यारी
    जिसने किया जब नीचता को सलाम

    तूने किया उसका काम तमाम
    दुराचारी की तू संहारणहारी
    तू है कविता कवि की प्यारी

    चेतन कौशल "नूरपुरी"