मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



लेखक: चेतन कौशल

  • श्रेणी:

    क्या तुम ———-?

    कश्मीर टाइम्स 23 अगस्त 2009 

    जब निजहित तुम्हारा होगा देशहित से ऊँचा,
    और निज सुख तुम्हें दिखने लगेगा महान,
    तब क्यों कोई देशहित की बात करेगा?
    क्यों देशहित में कोई करेगा काम?
    जब देश नहीं रहेगा समृद्धि-सुरक्षा का अधिकारी,
    तब तुम क्या कर लोगे? निजहित में,
    जगह-जगह बनें हो नन्द भाई, भ्रष्टाचारी,
    क्यों धंसे हो? तुम भोग विलासी दलदल में,
    क्या जागेगा फिर कोई चाणक्य प्यारा?
    गाँठ चोटी खोलकर भरेगा हुंकार,
    क्या ढूंढेगा वह कोई चन्द्रगुप्त न्यारा?
    और नेकदिल जननायक करेगा तैयार,
    जब वह बजाएगा ईंट से ईंट तुम्हारी,
    तब तुम क्या कर लोगे? निज सुख में,
    जगह-जगह बनें हो नन्द भाई, भ्रष्टाचारी,
    क्यों धंसे हो? तुम भोग विलासी दलदल में,



    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    मुफ्त प्रदूषण

    2 अगस्त 2009 कश्मीर टाइम्स 

    कंकरीट, पत्थरों के इस शहर में,
    मानव ही प्रदूषण फैलाता है,
    जगह-जगह ढेर लगाता है गंदगी के,
    पास से नहीं निकला जाता है,
    कंकरीट, पत्थरों के इस शहर में
    पॉलिथीन लिफाफे, प्लास्टिक सामान बनाती हैं फैक्ट्रियां,
    बांधकर गांठे शहर-शहर पहुंचाती हैं फैक्ट्रियां,
    शहरी प्रदुषण फैले तो फैले, उन्हें क्या?
    कंकरीट, पत्थरों के इस शहर में
    अच्छा होता, अगर इनका प्रचलन न होता,
    पॉलिथीन, प्लास्टिक सामान का कहीं निशान न होता,
    हर कोई स्वस्थ होता, अगर मुफ्त प्रदूषण न होता,
    कंकरीट, पत्थरों के इस शहर में


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    पन्द्रह अगस्त

    अगस्त 2009 मातृवंदना

    आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है
    जीने का अधिकार सबने पाया है
    रिश्वत किसी से नहीं लेनी थी इसने
    घूस किसी को नहीं देनी थी उसने
    तूने कमिशन खाने का अधिकार किससे पाया है
    आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है
    यहांवहां गबनों का दौर चल रहा है
    आए दिन घेटालों का पिटारा खुल रहा है
    पलपल माल चोरी का जाता है मोरी में
    यहां मानसिक गुलामी को किसने बुलाया है
    आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है
    तू इतनी जल्दी भूल गया कैसे
    आजादी इसी दिन हमें मिली थी
    था हर जिगर का टुकड़ा विछुड़ गया कैसे
    आहत हुआ नारीवक्ष घाव नहीं भर पाया है
    आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है
    अब शोषण हम यहां किसी का नहीं होने देंगे
    अधिकार गरीब दुखिया अनाथ का नहीं खोने देंगे
    दलितों को उठाकर हमने गले लगाना है
    तूने मनमानी करने का अधिकार किससे पाया है
    आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • पाॅलीथीन प्रतिबंधित हुआ, परंतु…….
    श्रेणी:

    पाॅलीथीन प्रतिबंधित हुआ, परंतु…….

    हिमाचल सरकार पाॅलीथीन पर प्रतिबंध लगा चुकी है। जम्मू कश्मीर  सरकार ने उस पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन प्रांतीय सरकारों का यह कार्य प्रयास चहुं ओर प्रशंसनीय रहा है। अब इन प्रांतों के हर शहर व गांव की गलियों व नालियों में पाॅलीथीन लिफाफे तो कम अवश्य  हुए हैं पर वह अभी समाप्त नहीं हुए हैं। उन पर मात्र प्रतिबंध लगा है। सरकार द्वारा लगाया गया यह प्रतिबंध, पूर्ण प्रतिबंध सार्थक तब होगा जब पाॅलीथीन परिवार के अन्य हानिकारक उत्पादों का जन साधारण द्वारा विरोध किया जाएगा। पाॅलीथीन का उत्पादन एवं प्रयोग होना बंद हो जाएगा।
    देखने में आ रहा है कि अनाज, दालें, तिलहन, दूध, दही, पनीर, मक्खन, घी, सब्जी तथा श्रृंगार  का सामान मोमी पारदर्शी  लिफाफों प्लास्टिक की बोतलों में सिले सिलाए वस्त्र, प्रिंटेड  मोमी थैलों और डिब्बों में पैक करके बाजार में ग्राहकों को बेचे जाते हैं जो पर्यावरण हित में नहीं है।
    गंदे पाॅलीथीन, मोमी, पारदर्शी  लिफाफों को खाकर पशु  मर जाते हैं। नालियां गंदगी से अवरुद्ध हो जाती हैं। स्वाइन फ्लू जैसे भयानक जानलेवा घातक रोग पैदा होते हैं। गंदा पानी रिसकर पेयजल स्रोतों की उपयोगिता नष्ट करता है। पाॅलीथीन, मोमी लिफाफों से पेयजल स्रोत अवरुद्ध हो जाते हैं। वे अपना जल प्रवाह की दिशा  बदल लेते हैं, नष्ट  हो जाते हैं।
    पाॅलीथीन, मोमी लिफाफे लम्बे समय तक नष्ट  नहीं होते हैं। उनसे खेतों की उपजाऊ शक्ति नष्ट  हो जाती है। खेत बंजर हो जाते हैं। बरसात के दिनों में जगह-जगह पर गंदगी फैल जाने से सफाई कर पाना अति कठिन हो जाता है। इसका यह अर्थ हुआ कि हम सफाई पसंद नहीं करते हैं। हम दूसरों का सफाई का कार्यभार कम करने की अपेक्षा उसे और अधिक बढ़ाते हैं।
    बात स्पष्ट  है कि पाॅलीथीन, मोमी लिफाफे, प्लास्टिक की बोतलें व पैकिंग का सामान बनाने की वर्तमान वैज्ञानिक तकनीक पर्यावरण विरुद्ध है। वह पर्यावरण का मित्र न होकर शत्रु बन चुकी है। वैज्ञानिकों के द्वारा अब नई एक ऐसी तकनीक विकसित करनी होगी जो पर्यावरण की सुरक्षा कर सके जिससे पर्यावरण विरोधी उत्पादों की वृद्धि न हो बल्कि पर्यावरण स्वच्छ एवं संतुलित बन सके।
    पर्यावरण में बढ़ता तापमान और निरंतर पिघलते हुए ग्लेशियर इस बात का प्रमाण हैं कि हमारा भविष्य  सुरक्षित नहीं है। हमें भविष्य  में कल-कल करती नदियां झर-झर करते झरने मीठे-मीठे जल के चश्में  और मनमोहक झीलें कहीं दिखाई नहीं देंगी। पेय जलस्रोत न रहने के कारण हम जीवित नहीं रहेंगे, ऐसा जानते हुए भी हम पर्यावरण विरुद्ध कार्य करते जा रहे हैं।
    सावधान! हमें पर्यावरण विरुद्ध किए जाने वाले ऐसे सभी कार्य तत्काल बंद कर देने होंगे और एक ऐसी तकनीक का विकास करना होगा जिससे मानव जाति में पर्यावरण प्रेम जागृत हो। वह निजहित की चार दीवारी से बाहर निकल कर जन हित एवं समाज कल्याण का कार्य कर करे। उससे किसी जानमाल की हानि न हो। हर तरफ हर कोई सुख शांति से जी सके।
    सरकार द्वारा पर्यावरण सुरक्षा बनाए रखने हेतु ऐसा विधेयक पारित किया जाना चाहिए उत्पादकों को विशेष  निर्देश  दिया गया हो कि वे अपने यहां उत्पादित उपयोगी पाॅलीथीन, मोमी लिफाफे और प्लास्टिक के सामान पर वैधनिक चेतावनी लिखने के साथ-साथ उन्हें अनुपयोगी होने पर, जल्द नष्ट  करने की हानि रहित विधि भी सुनिश्चित करें जिससे पर्यावरण असंतुलन और प्रदूषण  रोकने में सरकार को जन साधारण का सहयोग मिल सके।
    अतः पाॅलीथीन तो अभी प्रतिबंधित हुआ है। उस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना शेष  है। आइए! हम सब वैज्ञानिक, उत्पादक, भण्डारपाल, व्यापारी, दुकानदार, ग्राहक और गृहणियां सरकार द्वारा पाॅलीथीन विरुद्ध लगाए गए प्रतिबंध को पूर्ण प्रतिबंध में परिणत करने हेतु रचनात्मक एवं सकारात्मक कार्य करें और उन सब वस्तुओं को सदा के लिए भूल जाएं जिनसे पर्यावरण असंतुलन और प्रदूषण  फैलता है। इन्हें भूल जाने में ही हमारी सबकी समझदारी और भलाई है।
    12ण्7ण्2009
    कष्मीर टाइम्स


  • श्रेणी:

    नहर

    21 जून 2009 कश्मीर टाइम्स

    अवश्य ही होगा,
    सफल लक्ष्य हमारा,

    कोना-कोना खेत का,
    सींचेगी निर्मल जलधारा,

    गांव-गांव पहुंचेगी नहर,
    सूखे का होगा अंत,

    नहीं रहेगा कोई प्यासा,
    घर-घर होगा बसंत,


    चेतन कौशल "नूरपुरी"