वृद्ध अवस्था में मानव की कृश-काया भले ही उसका साथ न दे, पर वह अपने पिछले दीर्घ काल में किये गए कार्य अनुभवों से सम्पन्न अवश्य होता है l उसकी सन्तान चाहे तो उन अभिभावक के सानिध्य में बैठकर उनके कार्य अनुभवों से बहुत कुछ सीख सकती है l
वृद्ध अवस्था में मानव की कृश-काया भले ही उसका साथ न दे, पर वह अपने पिछले दीर्घ काल में किये गए कार्य अनुभवों से सम्पन्न अवश्य होता है l उसकी सन्तान चाहे तो उन अभिभावक के सानिध्य में बैठकर उनके कार्य अनुभवों से बहुत कुछ सीख सकती है l