दूषित राजनीति से छुटकारा दिलाने हेतु चाणक्य जैसे आचार्यों को, चन्द्र गुप्त मौर्य जैसे विद्यार्थियों के साथ, आगे अवश्य आना पड़ता है l
जब जब चाणक्य जैसा कोई आचार्य किसी मुरां पुत्र चन्द्र गुप्त जैसे विद्यार्थी को सम्राट चन्द्र गुप्त मौर्य बनाने में समर्थ होता है, तब तब नन्द जैसे मक्कार और क्रूर शासकों का भी पतन निश्चित होता है l इससे लोकतंत्र की स्थापना होती है और अखंड भारत का सपना साकार होता है l