मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



परिश्रम बिना

चेतन आत्मोवाच 67 :-

खोज जिसे होती है, मंजिल पा ही लेता है l
परिश्रम बिना जो ढूंढता है, मनः जीवन नष्ट कर लेता है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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