मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



मेहनत

चेतन आत्मोवाच 65 :-

कली बनता गुल, गुल खिलता है काँटों में l
अभ्यास बनता है मेहनत, मनः होती नहीं मेहनत बातों में ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *