मानवता

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आशाओं का अँधेरा

चेतन आत्मोवाच 50 :-

आशाओं के घोर अँधेरे में, क्यों खो गया तेरा जीवन है ?
तालाश खुद की खुद कर, मनः नाहक बना क्यों दीन-हीन है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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