मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



विपदा

चेतन आत्मोवाच 49 :-

मुसीबत आ गई तो आने दे विपदा नहीं है कोई खास l
नरमी-गर्मी का मौसम है, मनः तू हुआ है क्यों उदास ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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