मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



सम्मान भावना

चेतन आत्मोवाच 48 :-

लुटाया था अपना आप उसने तो तू उन्हें पूज रहा l
क्यों पूजेगा, कौन तुझे ? मनः तू तो सबको लूट रहा ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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