मानवता

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दुःख

चेतन आत्मोवाच 32 :-

दुःख अपना सुनाना मत, हंसी उड़ाती है दुनियां l
दुःख सुनना तू चाहे सबके, मनः राहत पाती है दुनियां ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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