मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



इन्सान था

चेतन आत्मोवाच 29 :-

इंसान था मगर तूने खुद से खुद बैर किया है l
खुदा तो खुद बन बैठा है, मनः खुद को तूने भुला दिया है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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