मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



दुखिया

चेतन आत्मोवाच 27 :-

दुखिया को दुःख न दे, वह तो दुःख का मारा है l
मरे को मारना भला क्या ? मनः उसका नहीं कोई सहारा है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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