मानवता

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जगत की रीत

चेतन आत्मोवाच 18 :-

पैदा हुआ सो मिट जायेगा, है यही जगत को रीत l
झूठी है हर वस्तु यहाँ, मनः ज्यादा न बढ़ा प्रीत ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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