चेतन आत्मोवाच 5 :-
खोखला ढोल ढम-ढम करता, गाना तो वह गा नहीं सकता l
तू शोर धर्म का करता, मनः जब उस पर चल नहीं सकता ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 5 :-
खोखला ढोल ढम-ढम करता, गाना तो वह गा नहीं सकता l
तू शोर धर्म का करता, मनः जब उस पर चल नहीं सकता ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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