दैनिक जागरण 2.9.2007
प्राचीन काल की तरह माता-पिता व गुरुजनों को आज मात्र स्वयं ही को नहीं जगाना है बल्कि स्वयं जागकर बाल, विद्यार्थी, स्नातक और युवा वर्ग को भी जगाना है l वे अब भी स्वयं और परहित के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं l उनमें लौकिक एवं अलौकिक कार्य कर सकने की अपार क्षमताएं तथा शक्तियां विद्यमान हैं जिन्हें वे मात्र महान पुरुषों के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर स्वयं अखंड एवं निरंतर प्रयास करके अवश्य प्रकट कर सकते हैं l इनसे आत्म कल्याण एवं परहित के लिए सृजनात्मक तथा रचनात्मक कार्य किये जा सकते हैं l
अतः आज स्वयं जीवन से भ्रमित और निराश - हताश हो रहे बाल, विद्यार्थी, स्नातक और युवा वर्ग को चाहिए कि अभिभावक, गुरुजन, कर्मठ, उद्यमी, अनुभवियों से योग साधना युक्त “जीवन मार्ग दर्शन” ग्रहण करें जिससे वे स्वयं को तनावमुक्त, संस्कारवान और कठिन से कठिन कार्य करने के योग्य उद्यमी साहसी और जीवन की समस्त चुनौतियों का सामना कर सकने वाले शूरवीर बनने के साथ - साथ अपना भविष्य भी उज्ज्वल बना सकें l स्थानीय अभिभावक, गुरु, राजनेता और प्रशासक जन अपने कर्मठ जीवन अनुभवों से सर्वमान्य, जनहित और संयुक्त आधार पर “बाल सभा” की भाँति, बृहत रूप में, विद्यालय में अपेक्षाकृत गठित किये जाने वाले “विद्यार्थी जीवन कल्याण मंच” के माध्यम द्वारा इस उत्तरदायित्व को भली प्रकार से निभाने का अनवरत एवं अखंड प्रयास कर सकते हैं l इससे बाल एवं विद्यार्थी वर्ग में एक आशा की नई किरण जाग सकती है l इससे स्नातक एवं नौजवान वर्ग को अपना “जीवन कल्याण” करने तथा सफल गृहस्थ जीवन यापन करने की प्रेरणा मिलेगी l इससे समर्थ कर्मवीरों को अपेक्षित ग्रामसेवा, ग्राम विकास करने अपेक्षाकृत राष्ट्र सेवा में सहयोग देने और विश्व परिवार में भाई - बंधुत्व भाव बनाये रखने में महत्व पूर्ण योगदान भी मिलेगा l
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