जुलाई, 2025 | मानवता - Part 4

मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



महीना: जुलाई 2025

  • श्रेणी:

    किशोर अवस्था

    इस अवस्था में बच्चे का ज्ञान और विवेक अपरिपक्व होता है l अच्छे बुरे या निषिद्ध कार्य का सही आंकलन नहीं होता है l वह जो भी कार्य करता है - उसे अच्छे बुरे या निषिद्ध कार्य का ज्ञान होना चाहिए l लेकिन वह कठिन और चुनौति पूर्ण जीवन यापन की अपेक्षा सुगम और सरल जीवन यापन करना अधिक पसंद करता है l कई बार अभिभावक की अनदेखी और कुसंगति में पड़कर वह अनुचित मार्ग की ओर भी अग्रसित हो जाता है l अगर समय रहते अभिभावक बच्चे का उचित मार्गदर्शन करें तो वह उस संकट से बच भी सकता है l 
    किशोर/किशोरियों के लिए यही समय सम्भलने का होता है । अगर इस समय उनके माता - पिता के द्वारा उन्हें अच्छे संस्कार, गुरु और अध्यापक द्वारा उचित शिक्षण - प्रशिक्षण प्राप्त हो तो वे अपने जीवन में संभल सकते हैं, वे दुर्व्यसनों का शिकार नहीं होते हैं । वे धैर्य और साहस के साथ अपने जीवन की चुनौतियों, बाधाओं, कठिनाइयों और दुःख - सुख का सामना करने में सक्षम होते हैं और दुर्व्यसनों का शिकार नहीं होते हैं l

  • श्रेणी:

    बाल अवस्था

    यह वह अवस्था है जिसमें बच्चा नटखट होता है l कोई बच्चा बहुत नटखट होता तो कोई कम लेकिन होता अवश्य है l उसमें बोध और विवेक दोनों ही सुप्त अवस्था में होते हैं, जो उसकी आयु बढ़ने के साथ - साथ जागृत होते हैं l आरम्भ में उसे कुछ भी ज्ञान नहीं होता है, देखा देखी करता है l अकेले बच्चा नट - खट्टता कम करता है जबकि जोड़ी में बहुत अधिक l 

  • श्रेणी:

    जीवन की चार अवस्थाएं

    सत्सनातन धर्म में मनीषियों के द्वारा मानव जीवन की चार अवस्थाएं - बाल अवस्था, किशोर अवस्था, युवा अवस्था, और वृद्ध अवस्था निर्धारित की गई हैं l 

  • श्रेणी:

    अखंड भारत

    - # अखंड भारत का ही दूसरा नाम सनातन है, समस्त भू- मंडल सनातन मय है।*
    - # हम भारतीय हैं – अगर विश्वभर में हमें कोई पहचानता है तो वह हमारे देश प्रेम, धर्म परायणता, भारतीय संस्कृति से ही जानता है।*
    - # स्वदेश से प्रेम तो करके देखो, विरोधियों से स्वयं दूरी न हो जाए तो कहना।*