मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



महीना: जून 2025

  • श्रेणी:

    ईश्वर दर्शन

    # रात में विचरण करने वाले उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता है, संसारिक सुख में मस्त रहने वाले को ईश्वर के दिव्य दर्शन नहीं होते है।*


  • श्रेणी:

    मानसिक ऊर्जा  

    सद्भावना से आत्मोत्थान और दुर्भावना से आत्म पतन होता है l 
    मन में शुद्ध भाव रखने से आत्म विशवास बढ़ता है l
    प्रेम बल से दूरस्थ व्यक्ति भी समीप लगता है मगर द्वेष से समीप रहने वाला भी दूर होता है l
    दान, त्याग, समर्पण और सेवा भाव से कठिन से कठिन कार्य भी सहजता से सिद्ध हो जाते हैं l
    निरभिमान से लोकप्रियता बढ़ती है l
    सफल लोगों की दिनचर्या उनका मन नहीं, लक्ष्य तय करता है l
    जन सेवा हेतु समर्पित भाव से कार्य करना ही भक्तियोग है l




  • श्रेणी:

    अँधा

    वास्तव में अँधा सूरदास नहीं, अँधा वो है जिसे सत्य नहीं दिखता l 
    सूरदास ईश्वर दर्शन करता है और आँखों वाला पूछता है - ईश्वर कहाँ है ?


  • श्रेणी:

    सद्भावना और दुर्भावना

    भावनाएं दो प्रकार की होती हैं – सद्भावना और दुर्भावना l सद्भावना से मनुष्य का अपना और समाज का उत्थान होता है जबकि दुर्भावना से दोनों का पतन होता है l मनुष्य को किस भावना से कार्य करना चाहिए ? ये बात उसकी बुद्धि और प्रकृति पर निर्भर करती है l 
    सद्भावना और दुर्भावना में मात्र इतना अंतर है, सद्भावना गैर को अपना बनाती है जबकि दुर्भावना अपनो को गैर बना देती है l
    सद्भावना से बिखरा हुआ समाज एक सूत्र में पिरोया जा सकता है l



  • श्रेणी:

    आत्मानुशासन की शिक्षा

    आत्मानुशासन की शिक्षा परम्परागत गुरुकुल ही दे सकते हैं - मैकाले एवं  ब्रिटिश साम्राज्य से जनित, पोषित 1947 से जारी शिक्षा आत्मानुशासन की शिक्षा क्या देगी ! जिसका धन उगाही करना मात्र अपना लक्ष्य हो l 

    चेतन कौशल "नूरपुरी"