दिसम्बर, 2024 | मानवता - Part 16

मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



महीना: दिसम्बर 2024

  • श्रेणी:

    जगत की रीत


    पैदा हुआ सो मिट जायेगा, है यही जगत को रीत l
    झूठी है हर वस्तु यहाँ, मनः ज्यादा न बढ़ा प्रीत ll

  • श्रेणी:

    घर


    ओह ! चेहरा भीग गया है, क्यों आंसू गिराती हैं आँखें l
    यहाँ घर अपना नहीं है किसीका, मनः तू भर न यों ही आहें ll





  • श्रेणी:

    मुसीबत


    मुसीबत की कोई मजाल नहीं, शक्ति तो तेरी भुजाओं में है l
    चाहे तो उनका मुकाबला कर, मनः हिम्मत तो तेरे दिल में है ll