मानवता सेवा की गतिविधियाँ
पैदा हुआ सो मिट जायेगा, है यही जगत को रीत lझूठी है हर वस्तु यहाँ, मनः ज्यादा न बढ़ा प्रीत ll
चेतन कौशल
ओह ! चेहरा भीग गया है, क्यों आंसू गिराती हैं आँखें lयहाँ घर अपना नहीं है किसीका, मनः तू भर न यों ही आहें ll
मुसीबत की कोई मजाल नहीं, शक्ति तो तेरी भुजाओं में है l चाहे तो उनका मुकाबला कर, मनः हिम्मत तो तेरे दिल में है ll