
इन्सान बना वही, लिया जिसने खुद को पहचान l
फूंक-फूंककर हर कदम चले, मनः दाग से बचे चरित्रवान ll
श्रेष्ठ साहित्य है कामधेनु, दूध सम देता है शक्ति l
ज्ञानी की बात छोड़ो, मनः मुर्ख भी करने लगता है भक्ति l
चेतन आत्मोवाच 77 :-
काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहंकार हैं सब नर्क के द्वार l
इधर कहते हैं संत प्यारे, मनः उधर बताते हैं गुरुद्वार ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
बनी है शोभा त्रिभुवन की,सतियों और देवियों से 1
बना है इतिहास भारत का, मनः महान विभूतियों से 11
चेतन कौशल "नूरपुरी"