अगस्त, 2017 | मानवता - Part 12

मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



महीना: अगस्त 2017

  • श्रेणी:

    धर्म की महिमा

    अनमोल वचन :-

    धर्म से ही अर्थ की प्राप्ति होती है। धर्म से ही सुख मिलता है। सारी इच्छाएं भी धर्म से ही पूरी होती हैं। यह विश्व भी धर्म पर ही खड़ा है।


  • श्रेणी:

    कर्म का स्वभाव

    अनमोल वचन :-

    मनुष्य का पूर्वकृत कर्म उसके सोने पर साथ ही सोता है, उठने पर साथ ही उठता है और दौड़ने पर भी साथ ही दौड़ता है।

  • श्रेणी:

    अपना – अपना स्वभाव

    अनमोल वचन :-

    बुढ़ापा सुंदर रूप को, आशा धीरता को, मृत्यु प्राणों को, दोष देखने की आदत धर्माचरण को, क्रोध लक्ष्मी को, नीच पुरुषों की सेवा सत्वभाव को, काम लज्जा को और अभिमान सर्वस्व को नष्ट कर देता है।

  • श्रेणी:

    मन का प्रयास

    अनमोल वचन :-

    यह स्थिर न रहने वाला और चंचल मन जिस - जिस शब्दादि विषय के निमित्त से संसार में विचरता है, उस उस विषय से रोककर यानी हटाकर इसे बार - बार परमात्मा में ही निरुद्ध करें।


  • श्रेणी:

    विषैला मित्र

    अनमोल वचन :-

    पीठ पीछे कार्य बिगाड़ने वाले और सामने प्रिय वचन बोलने वाले मित्र को त्याग देना चाहिए। वह मित्र विष से भरे उस घड़े के समान है, जिसके केवल ऊपर - ऊपर मुख पर ही थोड़ा सा दूध है।