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महीना: जून 2011

  • श्रेणी:,

    2. माँ

    जून 2011 मातृवन्दना  

    सिंहनी बलवान सिंह जन्म देकर
    सदा अभय होकर सोती है
    गधी दस गधों की माँ होकर भी
    दुःख पाती, बोझा ढोती है
    सौ पुत्र थे, गन्धारी- धृतराष्ट्र के,
    दुःख ही दुःख पाया था
    पांच थे कुंती के प्यारे पांडव,
    दुःख में भी सुख पाया था
    माँ ! तू जनना धर्म परायण,
    ज्ञाननिष्ठ, कला प्रेमी और शूरवीर
    नहीं तो बाँझ ही रहना भला,
    व्यर्थ न बहाना कभी नैन नीर