दैनिक जागरण 26 जनवरी 2007
है वही मेरा प्यारा वतन
हिमालय चूमता जहां ऊंचा गगन
कण कण सौरभ लाती नित नूतन पवन
पुण्य जीवन पाते मिलते जनगण
नित क्रांतियों के जहां होते यत्न
है वही मेरा प्यारा वतन
मिलता जहां देखने विशाल पाहन सेतु
उस पार पापी मारा था रक्षा मानवता हेतु
होता जहां अधर्म का प्रतिक्षण पतन
है वही मेरा प्यारा वतन
चेतन कौशल "नूरपुरी"
महीना: जनवरी 2007
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श्रेणी:कवितायें
प्यारा वतन
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श्रेणी:कवितायें
राही
दैनिक जागरण 19 जनवरी 2007
हम मानव संसार के राही
लगने न देंगे मानवता पर स्याही
उठने न पाएगा अज्ञान हाथी
सबके रक्षक सेवक साथी
हम तो हैं भले मर्मान्तक
सेवा हेतु हमें कोई न आंतक
हम मानव संसार के राही
लगने न देंगे मानवता पर स्याही
हम सब अपने हृदय के दीक्षक
सुख रहे दुख के चिकित्सक
रावण कंस नाम फिर न होगा विख्यात
राम कृष्ण नामों पर होगा प्रयास
हम मानव संसार के राही
लगने न देंगे मानवता पर स्याही
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:कवितायें
देश वासियो
दैनिक जागरण 12 जनवरी 2007
उठो नगर वासियो
जागो देश वासियो
दुखियारी भारत मां पुकार रही
आजादी दुख से कराह रही
दासता से मुक्त हुई है भारत माता
कुरीतियों में है उसे फंसाया जाता
उठो नगर वासियो
जागो देश वासियो
होना था न केवल हमनें आजाद
प्रेम त्यागभाव भी हमनें करना था आवाद
पगपग पर नंगा न कोई होता
भूखा पदपथ पर न कहीं कोई सोता
उठो नगर वासियो
जागो देश वासियो
संभव हर वस्तु यहां उत्पन्न होती
हर जरूरतमंद की उस तक पहुंच होती
कोई न कहीं देखता स्वार्थपरता को
हटा दो यहां की अब हर विवषता को
उठो नगर वासियो
जागो देश वासियो
चेतन कौशल "नूरपुरी"