दैनिक जागरण 8 जनवरी 2006
स्वामी सबका ईश्वर है प्राणी हैं अनेक
जीवन सबका समान है देख सके तो मन से देख
नारी सबकी जननी है माताएं हैं अनेक
बच्चे सबके समान हैं देख सके तो मन से देख
ज्ञान जननी बुद्धि है मस्तिष्क हैं अनेक
आत्म ज्ञान समान है देख सके तो मन से देख
खून सबका लाल है विचार हैं अनेक
प्रेम से सब समान हैं देख सके तो मन से देख
जाति सबकी मानव है नरनारी हैं अनेक
जन्म से सब समान हैं देख सके तो मन से देख
धर्म सबका मानवता है सम्प्रदाय हैं अनेक
अपने पराए सब समान हैं देख सके तो मन से देख
धरती सबकी सांझी है परंपराएं हैं अनेक
मिलकर सब समान हैं देख सके ता मन से देख
साल: 2006
-
2. देख सके तो
-
1. चेतना
दैनिक जागरण 6 जनवरी 2006
सेवा जो कर न सके
वह तन है किस काम का
नाम जो जाप न सके
वह मन है किस काम का
कार्य जो सिद्ध कर न सके
वह धन है किस काम का
सन्मार्ग जो दिखा न सके
वह ज्ञान है किस काम का
जीवनरस जो भर न सके
वह धर्म है किस काम का
मानवसृजन जो कर न सके
वह दाम्पत्य है किस काम का