मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



महीना: अक्टूबर 2006

  • श्रेणी:

    शिक्षा-दीक्षा

    दैनिक जागरण 18 नवंबर 2006

    गधे सा बोझा उठाए हुए
    देखो विद्यार्थी विद्यालय जाता है
    किताबी ज्ञान है सारा थैले में
    पढ़कर बाबू बन जाता है
    हर साल बाबू ही बाबू बनते रहेंगे
    अगर देश के नौजवान
    खाद्यानों का काम चलेगा कैसे
    मिलेंगे खेतों के कहां से किसान
    मशीनों का चालक बनेगा कौन
    कलाओं का विकास करेगा कौन
    शिक्षा दीक्षा दी जाती है परिश्रम करने के लिए
    सभ्यता संस्कृति सुरक्षित रखने के लिए
    सन्मार्ग जो दिखा न सके वह ज्ञान है कैसा
    परिश्रम से जो तुडव़ा दे नाता वह ज्ञान है कैसा
    अमल हो न सके जिसका वह शिक्षा मिलती है कैसी
    जिससे समाज सेवा हो न सके वह दीक्षा मिलती है कैसी


    चेतन कौशल "नूरपुरी"