दैनिक जागरण 21 जून 2006
है बिन ज्ञान के शक्ति अंधी
समस्याएं करती है जटिल पैदा
शक्ति बिना है ज्ञान अपाहिज
कुछ ही होता है मुश्किल पैदा
ज्ञान और शक्ति मिलाकर
जब किया जाता है काम
सफलता की जय होती है
कर्ता को भी मिलता है इनाम
धार चढ़ी नहीं जिस तलवार
वह है तलवार कह सकता है कौन
शक्ति लिए अपार व साथ अज्ञान भी
मनवा सफलता पा सकता है कौन
चेतन कौशल "नूरपुरी"
महीना: जून 2006
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श्रेणी:कवितायें
ज्ञान और शक्ति
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श्रेणी:कवितायें
नारी
दैनिक जागरण 10 जून 2006
उठ जाग ऐ नारी भारत की
मिट न पाए अब पहचान और भारत की
तू नकल पश्चिम की क्यों करती है
तू रंगरूप अपना क्यों बिगाड़ा करती है
जीन्स पैंटकमीज पहनें सिर मुंडवा करके
दिखाए खुद को जैकेट कोट हैट लगा करके
उठ जाग ऐ नारी भारत की
मिट न पाए अब पहचान और भारत की
तू शराब सिगरेट पान करती क्लब क्यों जाती है
हाथ पति का छोड़कर कमर क्यों मटकाती है
तू बाहें बनाए गैर मर्द की अपने गले का हार जहां
देह प्रदर्शन करके भी नहीं मिलता है पति का प्यार वहां
उठ जाग ऐ नारी भारत की
मिट न पाए अब पहचान और भारत की
तू बेटी है मां भी प्यारे भारत की
तू बहना बहु और लाज है भारत की
देवी दुर्गा काली और सरस्वती भी
अर्धांगिनी संगिनी मन्त्री नर-नारायण की
उठ जाग ऐ नारी भारत की
मिट न पाए अब पहचान और भारत की
चेतन कौशल "नूरपुरी"