मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



साल: 2005

  • श्रेणी:,

    1. ज्ञान चालीसा

    दिव्य हिमाचल 19.3.2005 

    1. लोक भ्रमण करने से विषय वस्तु को भली प्रकार समझा जाता है l
    2. साहित्य एवंम सदग्रंथ पढ़ने से विषय वास्तु का बोध होता है l
    3. अधिक से अधिक जिज्ञासा रखने से ज्ञान-विज्ञान जाना जाता है l
    4. सुसंगत करने से विषयक ज्ञान-विज्ञान का पता चलता है l
    5. बड़ों के प्रति उचित सम्मान और उनसे शिष्ट व्यवहार करने से उचित मार्ग दर्शन मिलता है l
    6. आत्म चिंतन करने से आत्म बोध होता है l
    7. सत्यनिष्ठ रहने से संसार का ज्ञान होता है l
    8. लेखन अभ्यास करने से आत्म दर्शन होता है l
    9. अध्यात्मिक दृष्टि अपनाने से समस्त संसार एक परिवार दिखाई देता है l
    10. प्राकृतिक दर्शन करने से मानसिक शान्ति प्राप्त होती है l
    11. सामाजिक मान-मर्यादाओं की पालना करने से जीवन सुगन्धित बन जाता है l
    12. शैक्षणिक वातावरण बनाने से ज्ञान-विज्ञान का विस्तार होता है l
    13. कलात्मक अभिनय करने से दूसरों को ज्ञान मिलता है l
    14. कलात्मक प्रतियोगिताओं में भाग लेने से आत्मविश्वास बढ़ता है l
    15. कलात्मक शिक्षण-प्रशिक्षण लेने से योग्यता में निखार आता है l
    16. कलात्मक व्यवसायिक परिवेश बनाने से भोग, सुख और यश प्राप्त होता है l
    17. दैनिक लोक घटित घटनाओं पर दृष्टि रखने से स्वयं को जागृत किया जाता है l
    18. समय का सदुपयोग करने से भविष्य प्रकाशमय हो जाता है l
    19. उच्च विचार अपनाने से जीवन सुधार होता है l
    20. आत्म विश्वास युक्त कठोर श्रम करने से जीवन विकास होता है l
    21. ब्रह्मचर्य का महत्व समझ लेने से कार्य क्षमता बढ़ती है l
    22. मन में शुद्धभाव रखने से आत्म विशवास बढ़ता है l
    23. कर्मनिष्ठ रहने से अनुभव एवंम कार्य कुशलता बढ़ती है l
    24. दृढ़ निश्चय करने से मन में उत्साह भरता है l
    25. लोक परम्पराओं का निर्वहन करने से कर्तव्य-पालन होता है l
    26. स्थानीय लोक सेवी संस्थाओं में भाग लेने से समाज सेवा करने का समय मिलता है l
    27. संयुक्त रूप से राष्ट्रीय पर्व मनाने से राष्ट्र की एकता एवंम अखंडता प्रदर्शित होती है l
    28. स्वधर्म निभाने से संसार में अपनी पहचान बनती है l
    29. नीतिवान एवंम न्याय प्रिय बनने से सबको न्याय मिलता है l
    30. शांत मगर शूरवीर बनने से जीवन चुनौतियों का सामना किया जाता है l
    31. निडर और धैर्यशील रहने से जीवन का हर संकट दूर हो जाता है l
    32. दुःख में भी प्रसन्न रहने से कष्ट दूर हो जाते हैं l
    33. निरंतर प्रयत्नशील रहने से कार्य में सफलता मिलती है l
    34. परंपरागत पैतृक व्यवसाय अपनाने से घर पर ही रोजगार मिल जाता है l
    35. तर्क संगत वाद-विवाद करने से एक दूसरे की विचारधारा जानी जाती है l
    36. तन, मन और धन से सेवा करने से प्रशंसकों और मित्रों की वृद्धि होती है l
    37. किसी भी प्रकार का अभिमान न करने से लोकप्रियता बढ़ती है l
    38. सदा सत्य परन्तु प्रिय बोलने से लोक सम्मान प्राप्त होता है l
    39. अनुशासित जीवनयापन करने से भोग सुख का अधिकार मिलता है l
    40. निःस्वार्थ भाव से सेवा करने से वास्तविक सुख व आनंद मिलता है l