मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



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1. साधक आत्मोवाच

मातृवन्दना दिसम्बर 2018

 

रख सके तो याद रख

है तेरा पांच तत्व का शरीर – रथ

जहाँ ले जाना चाहे इसको

हांके ले जा, हो के मस्त   

हैं नामी बलवान बहुत

इसके दस इन्द्रिय घोड़े

जब भी बे-लगाम हो जाये कोई

दिशा छोड़ विषय रसास्वादन हेतु दौड़े

शत्रु हैं भयानक अहं, मोह,

लोभ, क्रोध और काम

शुद्ध यत्न से जय हो जाएँ

मन की जब उचित बने लगाम

 रचना चक्रव्यूह संसार बेधना

नहीं यहाँ दुष्कर तेरे लिए है

न्याय प्रिय, दूरदर्शी, कुशाग्र बुद्धि, योगी

जब सन्मति सारथि तू संग लिए है

यात्रा कर रहा प्रकाशित जो तेरे शरीर में

मात्र एक स्वामी है, तेरा ही आत्मा

कठिन नहीं है तुझे मंजिल प्राप्त करना

जब हर डगर हो रहा सहायी परमात्मा

शरीर तो तेरा है अमानत प्रभु का

ठीक है समर्पित कर दे उसे आज ही

कारण है नहीं इसमें किसी दुःख का

प्राण आज नहीं तो जायेंगे छोड़ शरीर रथ – कल भी

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