मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



शूल-अंगार

चेतन आत्मोवाच 58 :-

बढ़ा दिए तूने कदम तो सहन कर शूल-अंगार भी l
मन बड़ा अड़ियल घोड़ा मनः भर थोड़ी सी हुंकार भी ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"


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