मानवता

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मिट्टी का खिलौना

चेतन आत्मोवाच 30 :-

मिट्टी का खिलौना है तू, पर ये तो भूल गया है l
हड्डी, लकड़ी, कोयला यहाँ, मनः सब धूल बन गया है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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