मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



मानसिक ऊर्जा  

सद्भावना से आत्मोत्थान और दुर्भावना से आत्म पतन होता है l 
मन में शुद्ध भाव रखने से आत्म विशवास बढ़ता है l
प्रेम बल से दूरस्थ व्यक्ति भी समीप लगता है मगर द्वेष से समीप रहने वाला भी दूर होता है l
दान, त्याग, समर्पण और सेवा भाव से कठिन से कठिन कार्य भी सहजता से सिद्ध हो जाते हैं l
निरभिमान से लोकप्रियता बढ़ती है l
सफल लोगों की दिनचर्या उनका मन नहीं, लक्ष्य तय करता है l
जन सेवा हेतु समर्पित भाव से कार्य करना ही भक्तियोग है l


चेतन कौशल "नूरपुरी"