मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



मनुष्य को

# मनुष्य को अब अपनी संकीर्णता की गलियों को अवश्य ही छोड़ना होगा, इसके बिना वह खुले विशाल आसमान में खग भांति न तो स्वच्छंद विचरण कर सकता है और न ही वह उसका कभी भरपूर आनन्द ले सकता है।* 

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