मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



बोल सके तो

चेतन आत्मोवाच 11 :-

बोल सके तो बोल तू, ज्यों टहनी से फूल झड़े l

वचन बड़े कीमती हैं, मनः बिल बोलना संभल के ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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