मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



बढ़ना है आगे

चेतन आत्मोवाच 45 :-

पिछला कम निपटा दे, फिर तू बढ़ आगे l
गति बना तू कुछ ऐसी अपनी, मनः तन आलस छोड़ कर भागे ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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