मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ

प्रेम

चेतन आत्मोवाच 73 :-

बिना दर्द के जो होता है, वह होता है प्रेम नहीं l
दर्द नहीं होता जिसमें, मनः होता है वह प्रेम नहीं ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"


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