1. पन्द्रह अगस्त | मानवता

मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



,

1. पन्द्रह अगस्त

अगस्त 2009 मातृवंदना

आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है
जीने का अधिकार सबने पाया है
रिश्वत किसी से नहीं लेनी थी इसने
घूस किसी को नहीं देनी थी उसने
तूने कमिशन खाने का अधिकार किससे पाया है
आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है
यहांवहां गबनों का दौर चल रहा है
आए दिन घेटालों का पिटारा खुल रहा है
पलपल माल चोरी का जाता है मोरी में
यहां मानसिक गुलामी को किसने बुलाया है
आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है
तू इतनी जल्दी भूल गया कैसे
आजादी इसी दिन हमें मिली थी
था हर जिगर का टुकड़ा विछुड़ गया कैसे
आहत हुआ नारीवक्ष घाव नहीं भर पाया है
आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है
अब शोषण हम यहां किसी का नहीं होने देंगे
अधिकार गरीब दुखिया अनाथ का नहीं खोने देंगे
दलितों को उठाकर हमने गले लगाना है
तूने मनमानी करने का अधिकार किससे पाया है
आज दिन पन्द्रह अगस्त का आया है