मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ

नीली चादर तले

चेतन आत्मोवाच 41 :-

ऊपर नीली चादर, खड़ा तू तपती जमीन पर l
तूने करना है क्या ? मनः किधर है ? तेरी डगर ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"


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