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नारी

दैनिक जागरण 10 जून 2006 

उठ जाग ऐ नारी भारत की
मिट न पाए अब पहचान और भारत की
तू नकल पश्चिम की क्यों करती है
तू रंगरूप अपना क्यों बिगाड़ा करती है
जीन्स पैंटकमीज पहनें सिर मुंडवा करके
दिखाए खुद को जैकेट कोट हैट लगा करके
उठ जाग ऐ नारी भारत की
मिट न पाए अब पहचान और भारत की
तू शराब सिगरेट पान करती क्लब क्यों जाती है
हाथ पति का छोड़कर कमर क्यों मटकाती है
तू बाहें बनाए गैर मर्द की अपने गले का हार जहां
देह प्रदर्शन करके भी नहीं मिलता है पति का प्यार वहां
उठ जाग ऐ नारी भारत की
मिट न पाए अब पहचान और भारत की
तू बेटी है मां भी प्यारे भारत की
तू बहना बहु और लाज है भारत की
देवी दुर्गा काली और सरस्वती भी
अर्धांगिनी संगिनी मन्त्री नर-नारायण की
उठ जाग ऐ नारी भारत की
मिट न पाए अब पहचान और भारत की


चेतन कौशल "नूरपुरी"