चेतन आत्मोवाच 17 :-
ओह ! चेहरा भीग गया है, क्यों आंसू गिराती हैं आँखें l
यहाँ घर अपना नहीं है किसीका, मनः तू भर न यों ही आहें ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 17 :-
ओह ! चेहरा भीग गया है, क्यों आंसू गिराती हैं आँखें l
यहाँ घर अपना नहीं है किसीका, मनः तू भर न यों ही आहें ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
प्रातिक्रिया दे