कश्मीर टाइम्स 18 जून 1996
सेवा जो कर न सके,
वह तन है किस काम का ?
नाम जो जाप न सके,
वह मन है किस काम का ?
कार्य जो सिद्ध कर न सके,
वह धन है किस काम का ?
सन्मार्ग जो दिखा न सके,
वह ज्ञान है किस काम का ?
जीवन-रस जो भर न सके,
वह धर्म है किस काम का ?
जीवन सृजन जो कर न सके,
वह दाम्पत्य है किस काम का ?
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