मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



कड़वी बात

चेतन आत्मोवाच 12 :-

फूल मुरझा जाते हैं, सदा कलि भी कलि रहती नहीं l

घाव भर जाते हैं, पर मनः बात कड़वी मिटती नहीं ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *