मानवता

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आग

चेतन आत्मोवाच 68 :-

तरह-तरह का जलना है, तरह-तरह की है आग l
जिन्दा जलाती चिंता तुझको, मनः मुर्दा भस्म करती है आग ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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